कॉइन मीडिया न्यूज ग्रुप के सूत्रों के मुताबिक, ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक नई और तेजी से फैलती साइबर धोखाधड़ी का तरीका है, जिसमें जालसाज फिल्मी सेटअप, फेक पुलिस और फर्जी नोटिस का इस्तेमाल करके बड़े अधिकारी और बिजनेसमैन को फंसाते हैं। धोखेबाज पहले पीड़ित को एक नकली कानूनी नोटिस भेजते हैं, जिसमें उन्हें किसी अपराध में फंसाने का डर दिखाते हैं। इसके बाद, ये खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर संपर्क करते हैं, और वीडियो कॉल्स के माध्यम से एक वास्तविकता का माहौल बनाते हैं। जालसाज विभिन्न तरीकों से पीड़ित को डराते हैं, यह कहते हुए कि अगर तुरंत पैसे नहीं दिए गए, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। ये अपराधी इस तरह की स्थिति का लाभ उठाकर पीड़ितों से धन वसूलते हैं, जो कि जल्दी से कानूनी प्रक्रियाओं से बचने के लिए पैसे देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इस धोखाधड़ी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है कि लोग किसी भी कानूनी नोटिस की सत्यता की जांच करें, कानूनी सलाह लें, और किसी भी प्रकार की धमकी मिलने पर तुरंत साइबर क्राइम सेल में रिपोर्ट करें। इस तरह की सतर्कता से डिजिटल अरेस्ट जैसी धोखाधड़ी से बचा जा सकता है।
फिल्मी सेटअप, फेक पुलिस, फर्जी नोटिस कैसे होता है ‘डिजिटल अरेस्ट’; जिसमें बड़े अधिकारी और बिजनेसमैन भी फंस रहे
