कॉइन मीडिया न्यूज ग्रुप के सूत्रों के मुताबिक, हाल के वर्षों में कृषि आय दोगुनी करने के संबंध में राजनीतिक वादे किए गए हैं, लेकिन अपेक्षित परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। इसके अलावा, मानसून पर निर्भर खेती लगातार महंगी होती जा रही है। नतीजतन, कोरबा जिले के कई किसानों ने गैर-पारंपरिक फसलों को एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में तलाशने का विकल्प चुना है। उन्होंने बागवानी और अन्य क्षेत्रीय फसलों पर ध्यान केंद्रित करते हुए इस दिशा में कदम उठाए हैं। रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि जिले के पांच विकास खंडों में किसानों ने गैर-पारंपरिक फसलों की खेती के लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव किया है, जिससे उन्हें विश्वास हो गया है कि ऐसा बदलाव आवश्यक है और भविष्य में नए अवसर प्रदान कर सकता है। छत्तीसगढ़ में प्रमुख फसलों के लिए समर्थन मूल्य बढ़ाने और राहत प्रदान करने के सरकारी प्रयासों के बावजूद, किसान अभी भी विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ऋण लेने का सहारा ले रहे हैं।