अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर कार्य के लिए बहुत शुभ मुहूर्त माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन कई पौराणिक घटनाएं हुई थीं, इसलिए इसे एक अबूझ मुहूर्त के तौर पर माना जाता है।इस दिन सोने चांदी की खरीद करना बहुत ही शुभ होता है। इस दिन खरीदी गई किसी भी वस्तु में अनंत वृद्धि होती है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के परशुराम अवतार का जन्म हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही युधिष्ठिर को कृष्णजी ने अक्षय पात्र दिया था। जिसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था और इसी पात्र से युधिष्ठिर अपने जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाते थे। इसलिए अक्षय तृतीया के दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व माना जाता है। अक्षय तृतीया के दिन से त्रेतायुग का भी आरंभ हुआ था। इसी शुभ दिन पर गंगा का अवतरण भी धरती पर हुआ था। इतनी विशेषताओं की वजह से अक्षय तृतीया के दिन को साल का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है।
अक्षय तृतीया 10 मई,शुक्रवार को सुबह चार बजकर 17 मिनट पर होगा और इसका समापन 11 मई के दिन सुबह दो बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त 10 मई के दिन सुबह पांच बजकर 49 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 मिनट के बीच है। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के शुभ मुहूर्त में किए गए हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
लगभग 23 सालों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है, जब अक्षय तृतीया के दिन विवाह का एक भी मुहूर्त नहीं है।इससे पहले साल 2000 में भी ऐसा ही संयोग बना था, जब विवाह के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं था।
ऐसे में इस बार अक्षय तृतीया के दिन गुरु और शुक्र तारा अस्त होने के कारण विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जा सकेंगे, जिसके बाद विवाह के लिए 5 जुलाई को शुक्र ग्रह उदय होगा और शुक्र ग्रह के उदय होने के बाद ही शादी और मांगलिक कार्यों के लिए मुहूर्त निकलेगा।
हालांकि, अक्षय तृतीया को महामुहूर्त माने जाने के कारण इस दिन शुभ संस्कार संपन्न हो सकते हैं।