अधिवक्ता कोचेटा का कहना है कि आजकल विवादों में एक दूसरे को जान से मारने की धमकी देना आम बात हो गई है। इस तरह की धमकी देने वाले व्यक्ति को सात वर्ष तक की सजा भी हो सकती है।
आमतौर पर देखने मिल ही जाता है कि लोग जरा-जरा सी बात पर झगड़ जाते हैं। यही कब आपसी गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार में बदल जाता है पता नहीं चलता। वैसे तो इसे काफी सामान्य घटना समझा जाता है, लेकिन ऐसा है नहीं। इस तरह किसी से गाली-गलौज करना या उसके साथ अभद्र व्यवहार करना या फिर किसी बात पर सामने वाले व्यक्ति को धमकाना भी संगीन अपराध की श्रेणी में आता है और आपको जेल की सैर करवा सकता है। इस बारे में अधिवक्ता ममोल कोचेटा बताती हैं कि कानून की नजर कुछ अलग होती है। कानून की दृष्टि से गाली देना, बदसलूकी करना और जान से मारने की धमकी देना एक ऐसे दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता हैं जो आपको जेल करवा सकता है।
अधिवक्ता कोचेटा का कहना है कि इस तरह के अपराधों पर सीधे पुलिस सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत एफआइआर दर्ज करती है। एक दूसरे को गंदी गालियां देना भारतीय दंड संहिता की धारा 294 में एक दंडनीय अपराध है। बता दें कि धारा 294 में दोनों पक्ष राजीनामा भी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि गालियां देने से केवल पीड़ित पक्षकार को तकलीफ नहीं होती, बल्कि जहां यह गाली-गलौज हो रही होती है वहां मौजूद आसपास के आम लोगों को भी काफी परेशानी होती है। अधिवक्ता कोचेटा बताती हैं कि इन धाराओं के अंतर्गत व्यक्ति को तीन महीने तक की जेल की सजा हो सकती है। वैसे ज्यादातर मामलों में आरोपित से बतौर दंड जुर्माना भरवाया जाता है, लेकिन कानून में जेल का प्रविधान भी है और आरोपित को नियमित रूप से अदालत में हाजिरी के लिए जाना पड़ता है, साथ ही जमानत भी लेनी होती है।
हत्या की धमकी देना, सात वर्ष तक सजा का है प्रविधान
अधिवक्ता कोचेटा का कहना है कि आजकल विवादों में एक दूसरे को जान से मारने की धमकी देना आम बात हो गई है। ऐसा सब आए दिन देखने को मिल ही जाता है। अगर इस तरह के विवाद में कोई भी आपको ऐसी धमकी देता है तो आप उसके खिलाफ तुरंत रिपोर्ट दर्ज करवाकर कार्रवाई करने की मांग कर सकते हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 506 यह स्पष्ट रूप से कहती है कि अगर धमकी जान से मारने की दी जा रही है तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा। इस तरह की धमकी देने वाले व्यक्ति को सात वर्ष तक की सजा भी हो सकती है।