इंदौर के करीब मांगलिया से केवल 10 किमी दूर है बाघेश्वरी धाम(Bagheshwari Dham)। सबसे खास बात यह है कि यहां ना तो ज्यादा पर्यटकों की भीड़ होती है और ना ही यह शहर से ज्यादा दूर है। शहर के शोर से आजादी के साथ आपको यहां ऐतिहासिक मंदिर में आध्यात्मिक सुकून भी मिलता है।
इंदौर- हरी भरी वादियां, शांत वातावरण, आध्यात्मिक परिवेश और इतिहास से जुड़े कुछ साक्ष्य अगर एक ही स्थान पर मिल जाएं तो ऐसे स्थान पर एक दिन की छुट्टी तो आराम से बिताई ही जा सकती है।
यूं तो ऐसे कई स्थान हैं जहां पर यह अनुपम संगम देखा जा सकता है लेकिन कुछ स्थान शहर से दूर हैं तो कुछ जाने पहचाने। जो स्थान दूर हैं वहां एक दिन की छुट्टी बिताना संभव नहीं और जो जाने-पहचाने हैं, वहां पर्यटकों की ज्यादा ही आवाजाही होने से अक्सर शांति का अनुभव नहीं हो पाता।
ना तो ज्यादा भीड़ और ना शहर से ज्यादा दूर
बाघेश्वरी धाम एक ऐसा स्थान है जहां ना तो पर्यटकों की अधिक संख्या रहती है और ना ही इस स्थान की दूरी ज्यादा है और वहां जाना सुकून भी देता है। तो फिर देर किस बात की, दोस्त या परिवार के सदस्यों के साथ छुट्टी बिताने की योजना बनाइए।
इसके लिए ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं, बस अपना बैग पैक करना होगा जिसमें नाश्ता और पानी की बोतल ही रखना होगी, क्योंकि यहां ना तो आपको उबड़खाबड़ रास्ते पर रस्सी, लकड़ी, टार्च की मदद लेनी पड़ेगी और ना ही यह कोई ऐसा स्थान है, जहां दूर-दूर तक भोजन आदि ना मिले।
चलिए इस सफर की शुरुआत इंदौर के विजय नगर क्षेत्र से करते हैं क्योंकि इस रास्ते से होकर ही आपको आगे बढ़ना होगा। इस स्थान का नाम है बाघेश्वरी धाम जो इंदौर से ज्यादा दूर नहीं, चंद किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है। यहां आप अपने दो या चार पहिया वाहन से भी जा सकते हैं।
मांगलिया से 10 किमी दूर है
मांगलिया से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित यह खूबसूरत स्थान है। इस स्थान पर जाने के लिए आपको मांगलिया से सांवेर को जोड़ती सड़क पर बढ़ना होगा। छोटी-सी टेकरी पर बने इस धाम तक पहुंचने के लिए अच्छी बात तो यह है कि यहां अपने वाहन से भी पहुंचा जा सकता है।
टेकरी पर बनी हैं सीढ़ियां
यदि आप चलने की शौकीन हैं और इस यात्रा में थोड़ा एडवेंचर भी चाहते हैं, तो सड़क के किनारे से टेकरी तक पहुंचती सीढ़ियां भी बनी हुई हैं। गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी कर आप ऊपर तक इन सीढ़ियों के जरिए भी जा सकते हैं।
इतिहास से भी है नाता
इस मंदिर की स्थापना किस तिथि को हुई इसका कोई प्रमाण तो नहीं है, लेकिन कहा जाता है कि इस मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्याबाई होलकर ने कराया था और आज भी यहां हाथ में शिवलिंग लिए हुए अहिल्याबाई की प्रतिमा स्थापित है।
वैसे यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और नाम के अनुरूप ही मंदिर के बाहर शेर की कई मूर्तियां भी बनी हुई हैं। गर्भगृह में देवी दुर्गा की सिंह वाहिनी मूर्ति स्थापित है। इसके अलावा यहां शिव परिवार की मूर्तियां और हनुमानजी की मूर्ति भी स्थापित है।
यह छोटा-सा मंदिर अपने आप में खास है क्योंकि यहां बहुत शांति भी है। मंदिर के बाहर यज्ञशाला भी बनी हुई है, जहां नवरात्र के दौरान हवन होता है। साथ ही यहां एक गोशाला भी बनी हुई है, जिसमें सैंकड़ों गायें हैं।
बच्चों के लिए भी माकूल है स्थान
रही बात मनोरंजन की, अगर आपके साथ बच्चे जा रहे हैं तो उन्हें भी यहां अच्छा लगेगा क्योंकि उनकी पसंद के कुछ झूले जो यहां लगे हुए हैं। मंदिर के बाहर बड़ा-सा खुला मैदान है और पास ही एक छोटा-सा जंगल भी। इस जंगल में किसी हिंसक पशु के होने का खतरा नहीं।
यहां मोर और खरगोश दिख जाते हैं, जो यात्रा का आनंद और भी बढ़ा देते हैं। गुरु पूर्णिमा पर यहां विशेष आयोजन होता है जिसमें गुरु पूजन के साथ विशाल भंडारा भी किया जाता है। नवरात्र में भी यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।
पिकनिक का ले सकते हैं आनंद
यूथ होस्टल एसोसिएशन के अशोक गोलाने बताते हैं कि अगर आप यहां पिकनिक मनाना चाहते हैं तो भोजन अपने साथ भी ले जा सकते हैं या फिर यहां बने रसोईघर की सुविधा का लाभ लेकर भोजन आदि बना सकते हैं।
यदि कोई होटल या ढाबे का भोजन करना चाहे तो उसके लिए भी मार्ग में बने ढाबे-रेस्टोरेंट बेहतर विकल्प हैं। जिन्हें ट्रैकिंग का आनंद लेना है वह सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक आ सकते हैं और जिन्हें खेल में रुचि है वह यहां के मैदान में अपनी रुचि पूरी कर सकते हैं।
यदि आप प्राकृतिक नजारों का आनंद भी लेना चाहते हैं तो वह इच्छा भी यहां पूरी हो जाती है क्योंकि मंदिर टेकरी पर बना है और दूर-दूर तक के नजारे साफ नजर आते हैं। बस प्रयास इस बात का करें कि किसी तरह यहां प्रदूषण न होने पाए।