सीएम डॉ. मोहन यादव ने मध्य प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी की घोषणा की थी। आज महेश्वर में कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। ऐसे में उज्जैन सहित अमरकंटक, महेश्वर, ओरछा, ओंकारेश्वर, मंडला, मुलताई, दतिया, जबलपुर, चित्रकूट, मैहर, सलकनपुर, मंडलेश्वर, मंदसौर, बरमान और पन्ना में शराब बंदी हो सकती है।
एमपी कैबिनेट की बैठक में ट्रांसफर पॉलिसी पर भी हो सकता है फैसला।
सीएम महेश्वर-जानापाव उद्वहन सिंचाई योजना का शिलान्यास भी करेंगे।
सीएम महेश्वरी साड़ी तैयार करने वाली महिला बुनकरों से संवाद करेंगे।
महेश्वर, खरगोन(MP Cabinet Meeting)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सार्थक कर रहे हैं। पवित्र व पर्यटन नगरी महेश्वर में देवी अहिल्याबाई के 300वीं जयंती वर्ष को समर्पित डेस्टिनेशन कैबिनेट बैठक होने जा रही है। इसमें 17 नगरों में शराब बंदी को लेकर भी फैसला हो सकता है।
सबसे पहले सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ मंत्रिमंडल के सदस्यों ने मां अहिल्या को पुष्प अर्पित किए और उनकी राज गद्दी को नमन किया। इसे बाद सीएम घाट पर पहुंचे और मां नर्मदा को हाथ जोड़कर प्रणाम किया।
सबसे पहले सीएम डॉ. मोहन यादव के साथ मंत्रिमंडल के सदस्यों ने मां अहिल्या को पुष्प अर्पित किए और उनकी राज गद्दी को नमन किया। इसे बाद सीएम घाट पर पहुंचे और मां नर्मदा को हाथ जोड़कर प्रणाम किया।
मंडलेश्वर में होगी आमसभा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव महेश्वरी साड़ी तैयार करने वाली महिला बुनकरों से संवाद करेंगे। माना जा रहा है कि बैठक में महेश्वर के साथ प्रदेश के विकास के लिए कई नीतिगत निर्णय लिए जाएंगे। इसके बाद मंडलेश्वर में आमसभा होगी।
कैबिनेट में शामिल होने वालों के लिए 17 प्रकार के मालवी व निमाड़ी व्यंजन हैं। मुख्यमंत्री मंडलेश्वर में 982 करोड़ 59 लाख की महेश्वर-जानापाव उद्वहन सिंचाई योजना का शिलान्यास भी करेंगे। इस योजना से तीन जिलों में पानी पहुंचेगा।
इन 17 शहरों में शराब बंदी पर निर्णय
प्रदेश में शराब बंदी को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कैबिनेट बैठक में बड़ा ऐलान कर सकते हैं। यदि शराब पर प्रतिबंध लगाया गया तो उज्जैन सहित प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू हो सकती है। इनमें अमरकंटक, महेश्वर, ओरछा, ओंकारेश्वर, मंडला, मुलताई, दतिया, जबलपुर, चित्रकूट, मैहर, सलकनपुर, मंडलेश्वर, मंदसौर, बरमान और पन्ना के नाम शामिल हो सकते हैं।
यह है महेश्वर का महत्व
देवी अहिल्याबाई होलकर का जन्म वर्ष 31 मई 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चौंढी नामक गांव (जामखेड़, अहमदनगर) में हुआ था। वे एक सामान्य किसान की बेटी थीं। उनके पिता मान्कोजी शिंदे किसान थे। अहिल्याबाई रोजाना शिव मंदिर में पूजन करती थीं।
10 वर्ष की अल्पायु में ही होलकर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव के साथ वे परिणय सूत्र में बंध गई थीं। उन्होंने कई तीर्थ स्थानों के साथ ही मंदिर, घाट, कुएं, बावड़ियों, भूखे लोगों के लिए अन्नक्षेत्र और प्याऊ का निर्माण भी कराया
साथ ही साड़ियां बनवाने के लिए बुनकरों को बसाया। यहां महेश्वरी साड़ियों का निर्माण किया जाता है। साल 1754 में जब अहिल्याबाई होलकर महज 21 साल की थीं, तभी पति खांडेराव होलकर कुंभेर के युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए।
अहिल्याबाई ने पति की मौत के बाद सती होने का फैसला लिया, लेकिन ससुर मल्हार राव होलकर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। देवी अहिल्याबाई का 13 अगस्त 1795 को देवलोकगमन हुआ।