Union Budget 2025:- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को देश का बजट पेश करेंगी। इस बजट से सभी को काफी उम्मीदें हैं। Ernst & Young (EY) के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव का कहना है कि बजट में व्यक्तिगत आयकर को कम करने और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच विकास को बढ़ावा देने के लिए अधिक पूंजीगत व्यय आवंटित करने जैसे घरेलू कारकों पर ध्यान देने की जरूरत है।
यह घोषणा संभव
माना जा रहा है कि बजट में इनकम टैक्स को लेकर कोई राहत वाली घोषणा हो सकती है। इसके अलावा टैक्स सिस्टम में सुधार से जुड़े भी कुछ ऐलान संभव हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार करदाताओं को टैक्स में राहत देने की योजना पर विचार कर रही है, जिससे खपत और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, न्यू टैक्स रिजीम को और अधिक लाभकारी या आकर्षक बनाने पर भी जोर रहेगा।
दो विकल्पों पर विचार
CNBC की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स में राहत देने के लिए दो विकल्पों पर विचार कर रही है। पहला विकल्प वेतनभोगी करदाताओं के लिए नए टैक्स सिस्टम के तहत स्टैण्डर्ड डिडक्शन की सीमा को और बढ़ाना है। फिलहाल नए टैक्स सिस्टम के तहत स्टैण्डर्ड डिडक्शन की सीमा 75,000 रुपये है।
दायरे का होगा विस्तार
दूसरा विकल्प नए टैक्स सिस्टम में टैक्स स्लैब को एडजस्ट करना है। सरकार नए सिस्टम के तहत 20% टैक्स स्लैब को बढ़ा सकती है और सालाना 12-18 लाख या 20 लाख रुपये तक की आय को इसके दायरे में ला सकती है। इसके अलावा 18 या 20 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% का टैक्स ब्रैकेट लगाया जा सकता है। नई आयकर व्यवस्था के तहत मौजूदा टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं:
₹0 से ₹3,00,000: 0%
₹3,00,001 से ₹7,00,000: 5%
₹7,00,001 से ₹10,00,000: 10%
₹10,00,001 से ₹12,00,000: 15%
₹12,00,001 से ₹15,00,000: 20%
₹15,00,001 से अधिक: 30%
एक्सपर्ट्स को है ये उम्मीद
टैक्स एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री बॉडी को उम्मीद है कि सरकार करदाताओं के हाथों में अधिक पैसा देने के लिए न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब और दरों को संशोधित करेगी। हाल ही में, EY इंडिया ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि सरकार बेसिक एग्जेंप्शन लिमिट को 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है। इसके अलावा, नए टैक्स सिस्टम के तहत कर की दरों में भी संशोधन किया जा सकता है। EY के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव का कहना है कि बजट में व्यक्तिगत आयकर को कम करने और वैश्विक आर्थिक मंदी के बीच विकास को बढ़ावा देने के लिए अधिक पूंजीगत व्यय आवंटित करने जैसे घरेलू कारकों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।