धमाके के बाद घायल बच्ची को गोद में उठाकर बदहवास पिता दौड़ते हुए पास के गांव फूलनपाड़ पहुंचा। यहां हाल ही में खोले गए नए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप में बच्ची का प्राथमिक इलाज किया गया। इसके बाद उसे जगदलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
सुकमा जिले के चिंतलनार थाना क्षेत्र में घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एक गांव है तिम्मापुर। यहां रहने वाली 10 साल बच्ची सोढ़ी मल्ले ने जमीन में बिछाई गई नक्सलियों की आइईडी को खिलौना समझा। उसने जैसे ही उसो छुआ, मल्ले का कोमल शरीर धमाके के साथ कई जगह से चोटिल हो गया।
उसके शरीर से बहते रक्त से बस्तर की धरती फिर एक बार नक्सलियों की हिंसा से लाल हो गई। मासूम के जख्मी शरीर का सवाल था- आखिकार मेरा दोष क्या है? इधर, मल्ले को सोमवार की सुबह चार बजे जगदलपुर के समीप डिमरापाल में स्थित शहीद महेंद्र कर्मा मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया है।
मल्ले की आंखें, चेहरा बुरी तरह से झुलसा हुआ है। तेज दर्द से तड़पते हुए वह बार-बार अपनी मां और पिता से सवाल करती है, आखिर यह उसके साथ क्यों हुआ? देवता ने उसे किस बात की सजा दी? मासूम के इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं हैं।