कॉइन मीडिया न्यूज ग्रुप के सूत्रों के मुताबिक, भारत में विपक्षी दल लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद और हाउस पैनल में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका पाने की योजना बना रहे हैं। यह कदम हालिया चुनाव नतीजों के बाद आया है, जिससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सीटों का अंतर कम हो गया है। विपक्ष का मानना है कि उपसभापति मुख्य विपक्षी गुट से होना चाहिए और सरकार द्वारा किसी को नियुक्त करने से इनकार करना यह संकेत देगा कि वह नहीं चाहती कि संसद प्रभावी ढंग से चले।
विपक्ष स्थायी समितियों सहित संसदीय पैनलों की संरचना, अध्यक्षता और कामकाज को सदन में नए नंबर गेम की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करके उनकी पवित्रता की बहाली पर भी जोर दे रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में विपक्ष की अधिक महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
विपक्ष की उपसभापति पद की मांग को सदन में अपना प्रभाव जमाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। उपाध्यक्ष सदन के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें अध्यक्ष की अनुपस्थिति में कार्यवाही की अध्यक्षता करना और समितियों की अध्यक्षता करना शामिल है। विपक्ष का मानना है कि उनके स्तर से एक उपाध्यक्ष होने से उन्हें लोगों के हितों का बेहतर प्रतिनिधित्व करने में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि सरकार को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
इन मांगों पर सरकार की प्रतिक्रिया स्पष्ट नहीं है, लेकिन विपक्ष अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह स्थिति भारतीय संसद में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच चल रहे सत्ता संघर्ष को उजागर करती है।
विपक्षी दलों ने उपसभापति पद की मांग की और संसदीय पैनलों में प्रभाव बढ़ाया
